मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017
गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017
बुधवार, 8 फ़रवरी 2017
गुलाब हो न तुम.... ?
रोज़री में सजे
तुम कल बदले जाओगे
गुलाब हो न तुम
सम्मान में भी मिलते हो
दूसरे तीसरे दिन
कूड़ेदान में
बदहवास मिलते हो
गुलाब हो न तुम
तुमको समझने वाला
होता है निराला
गुलाब हो न तुम
नेहरू की अचकन से रूमानी सेज तक
तुमको हर अगली बार
जमीन पर बिखरा बिखरा पाया
*गुलाब हो न तुम*
सोमवार, 6 फ़रवरी 2017
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया
जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर गुजरात के व्यापारियो...
-
तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ? गुमसुम क्यों हो कारण क्या है ? जलते देख रहे हो तु...
-
तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..? मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं तेरा एहसास नही हो पाया ! ************** हर तरफ़ शोर ...
-
पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को कोई खास अधिकार प्राप्त नहीं है। परंतु हिंदूकुश...