प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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रविवार, 17 जून 2012

बेसुधी में सड़क पर चलते चलते

बेसुधी में
सड़क पर चलते चलते
तुम्हारी यादों के घने बादल
जब बरसने लगते हैं
पोर पोर
भिगो देती बूंदें
थम जातीं हैं फ़िर अचानक
तब जब
रिक्शे वाला-चलो हटो कहता
बाजू से निकल जाता है..
और वेदना उष्णता
महसूस करता हूं..
ठीक वैसे ही
जैसे तपती दोपहर
अचानक मेह बरस के
थम जाते हैं ..
और उमस
उभरती है...!!

शनिवार, 16 जून 2012

गीत प्यार का लिखते लिखते

गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से  ही  प्यार  हो  गया ,
अभी तुम्हारा रूप निहारा
और हृदय बेज़ार हो गया .!!
************
सुनो रूप सी जब मन शावक
आये जो तुमरे आंगन तक..!
झूठ मूठ में प्यार जताना
प्रीतसुरों के अनुनादन तक
सुनने वाले कहेंगे वरना-
गीत तेरा बेकार हो गया .

गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से  ही  प्यार  हो  गया ,

************
आंचल को समझालो अपने
अल्हड़ बचपन बीत गया है.
इधर मेरे बैरागी हिय में
प्रेम का बिरवा पीक गया है.
यही गीत का भाव-अर्थ सब
तुमसे मुझको प्यार हो गया .

गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से  ही  प्यार  हो  गया ,

************


गुरुवार, 14 जून 2012

मुकम्मल सी वो कुछ यादें :दीप्ति शर्मा



इंतिहाऐं इश्क की कम नहीं होती
वो अक्सर टूट जाया करती हैं
मुकम्मल सी वो कुछ यादें
बातों के साथ छूट जाया करती हैं
पहलू बदल जाते हैं जिंदगी के
उन तमाम किस्सों को जोड़ते
जुड़ती है तब जब
ये साँसे डूब जाया करती हैं
©दीप्ति शर्मा

बुधवार, 13 जून 2012

कुछ बातें छोड़ आयी हूँ ।


आज मैं यादें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ खट्टी कुछ मीठी
मुलाक़ातें छोड़ आयी हूँ
चार साल का अनुभव
और वो हँसी मज़ाक़
साथ ले अपने
कुछ पहलुओं को
कुछ वादों को छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
क्या कहूँ क्या दोस्त बने
किसी ने हँसकर पीठ थपथपाई
तो किसी ने पीठ पीछे
मुँह फेरकर जीभ फिराई
पहचान तो गयी रंग भाव
हर एक शख़्स का
उन रंग भाव के मैं
कुछ कसक छोड़ आयी हूँ
शायद कुछ असर छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ को साथ रखने की
हरदम ख़वाहिश है तो
कुछ की कड़वी बातें झेल आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें बुरी लगी किसी की
तो चुप रहना बेहतर समझा
जो चार साल में नहीं बदला
उसे बदलने की चाह छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
बेहतर तो नहीं कह सकती
अपने हर साल को
गुज़र गया हर लम्हा
रोते गाते हँसते..
बहुत कुछ सोचा था पर
अपने अहसासों के दरमियान
तमन्नाओं के आईने में
धुँधली तस्वीरें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ ।
© दीप्ति शर्मा
www.deepti09sharma.blogspot.com
 

बुधवार, 6 जून 2012

धीमे धीमें गुनगुनाने वाली अचानक तेज़ सुरों से

धीमे धीमें गुनगुनाने वाली
अचानक तेज़ सुरों से
पुकारने लगी हो..
बेवज़ह दोबारा
आंगन बुहारने लगी हो..!
क्यों न मानूं कि तुमने
स्वीकार लिया
मेरा आमंत्रण !!
सच है न..?
मेरे हर सवाल पर इंकार
हां ही तो है न
कल से तुम
गुनगुना रही हो
बोले रे पपीहरा... !!

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...