प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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मंगलवार, 29 जून 2010

जीभ पलट गीत : पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला



http://www.abhivyakti-hindi.org/ss/images/papita.jpg

दो:- पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
एक मदारी नेक मदारी
आया लकड़ी टेक मदारी
ढीला ढाला भालू संग में
बंदर आया पहन  सफ़ारी !!
देखा जो निक्की ने भालू
निक्कर गीला गीला …!!
http://parvatjan.com/beta/wp-content/uploads/2010/02/gangel2-300x224.jpg
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
चुन्नू,मुन्नू,रिंकू,कुक्की
लक्की,विक्की,निक्की,चिक्की
झबरा काला देख के भालू
गुम थी सब की सिट्टी पिट्टी
देख के बंदर सब मुस्काये
था वो छैल छबीला !!
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
डम डम डम डमरू बाजा
ठुमका भालू बंदर नाचा ,
नई नई करतब दिखलाई
बंद किया फ़िर खेल तमाशा !
निकले रुपए सिक्के फ़िक्के
आटा रोटी बाटी टिक्के
निक्की भी बाहर ले लाया पीतल का पतीला
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला !!
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शनिवार, 26 जून 2010

कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की

जीभ-पलट गीत गाने में जितने कठिन लिखने में लगे उतने  पढ़ने में नहीं  . पर एक बात तयशुदा है कि जब आप जीभ के लिए कठिनाई पैदा करने वाला ये गीत गाएंगें तो न तो आप न ही कोई जो सुन रहा होगा हँसे बिना रह न सकेगा ..
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             कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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ऊबड़-खाबड़ रास्ता , बूढ़ा  बक़रा  हांफता  !
चीकू की कापी ले बन्दर बैठा- डाल पे जांचता !
मम्मी पापा बाहर निकले, रुत आई तब छूट की 
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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एक कहानी गोधा रानी मल्ला चोर खींचे डोर
पांव देख के रोए मोरनी , बादल देखे नाचे मोर
नाच मयूरी ले लाऊंगा.. सोलह जोड़ी बूट की
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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सरपट गांव का रास्ता, बकरा कैसे खांसता ?
बन्दर का टूटा था चश्मा कैसे कापी जांचता ?
गोधा रानी कहां की रानी मल्ला चोर कैसा चोर
बनी दुलहनियां देख मोरनी, मस्ती में फ़िर नाचे मोर ..
पहले-पहल कही मेरी...... सारी बातें झूठ थीं
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”

बुधवार, 23 जून 2010

खुद जल जल झिलमिल करती जग ,दीपक की वो दीप शिखा सी ...!

पीर भरा मन और मुस्काता साहस का संदेशा लेकर
मीत मिला - एक दोराहे  पे , नाता इक  अनदेखा लेकर !
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खुद जल जल झिलमिल करती जग ,दीपक की वो  दीप शिखा सी ...!
उसका साहस देख चकित मन,  भाग के लेखे स्वयं  मिटाती !!
मीत मिला - एक दोराहे  पे , नाता इक  अनदेखा लेकर !
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कैसे कह दूं और क्या कह दूं ? प्रश्न घूमते मेरे मानस
हो जाता भावुक मन मेरा , नम  आँखों  से करता स्वागत !!
मीत मिला - एक दोराहे  पे , नाता इक  अनदेखा लेकर !

मंगलवार, 22 जून 2010

दीप शिखा तुम मुझे बताना कहां हैं परबत किधर है समतल...........?

सुर सरिता की सहज धार सुन
तुम तो अविरल हम भी अविचल !!
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अश्व बने सुर-सातों जिसके
तुम सूरज का तेज़ संजोकर !
चिन्तन पथ से जब जब निकले
गये सदा ही मुझे भिगोकर !!
आज़ का दिन तो बीत गया यूं जाने कैसा होगा फ़िर कल !!
सुर सरिता की सहज .......!
॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑
जीवन पथ जो पीर भरा हो
नयन नीर सावन सा झर झर !
कितने परबत पार करोगे
ये सब कुछ साहस पर निर्भर ..?
दीप शिखा तुम मुझे बताना कहां हैं परबत किधर है समतल...........?
सुर सरिता की सहज .......!

शनिवार, 19 जून 2010

मंगलवार, 15 जून 2010

सोमवार, 14 जून 2010

मन बैठा विजयी सा रथ में !!

तुम संग नेह की जोत जगा के
हमने जीते जीवन के तम  ..!
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धीरज अरु  व्याकुलता  पल के
द्वन्द मचाते जीवन पथ में ,
तुमसे मिल के  शांत सहज सब
मन बैठा विजयी सा रथ में !!
कितने  पावन हो तुम प्रियतम 
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नेह-परोसा,  लेकर जो  तुम
आते  मेरे सन्मुख   जब भी ,
तृप्ति मुझे मिल जाया  करती
रन-झुन पायल ध्वनि से तब ही !
कितने  पावन हो तुम प्रियतम !!
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इधर सुन भी लीजिये जी

शुक्रवार, 11 जून 2010

आप को इश्क़ है तो

बुल्ले शाह को इश्क़ हुआ रब्बी के सुर में सुनिये इशक़ में बेख़बर बुल्ले शाह के दिल की बात



और ये भी कम नहीं

बुधवार, 9 जून 2010

हां..! ये शाम उस शाम से जारी हर शाम पर भारी

 [Indian-motifs-58.jpg]
हां..! ये  शाम
उस शाम से  जारी
हर शाम पर भारी
जब हुई थी
 मुलाक़ात
खनकती आवाज़
से.... !
आओ..
फ़िर उस पहली शाम को याद करें
रिक्तता में रंग भरें
लौटें उस शाम की तरफ़
जो आज़ हर शाम पे भारी है...!
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वो जो मुझे खींचता है
उस ओर जिधर तुम हो
उसे प्यार का नाम दें  !
आज़ इस बहाने
एक-दूजे का हाथ थाम लें...!!
न तो तुम और नही मैं रिक्त रहूं
न तुम कहो
न मैं सुनूं...!
मैं प्रीत के धागे लेकर आया हूं उलझे हुए
एक शामियाना
हमारे प्यार के लिये
कभी तुम बुनो कभी  मैं बुनूं...!!
[चित्र रानी विशाल जी की पोस्ट न आए विरह की रैन से साभार ]

मंगलवार, 1 जून 2010

मन प्याली, मदिरा थी प्रीत ..! ह्रदय-सुराही तौ न रीती

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimvikhpyAyH1ICj4g4AbUysKMavrEvLPdppXkS0HtRHWDXNuUnIHW7CyuzhkU9KQdEq8ik26T7gpXObCssU2YSWHdDQY9YJQb3Kghq_Lw7wWdfmWAh4yl92jx0o_LmcwzQ1DEKTGnrQ2E/s1600/HWS52_large.jpg
    [साभार: श्री विजय अग्रवाल ]
मन  प्याली, मदिरा थी प्रीती ..!
ह्रदय -सुराही तौ  न रीती
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लोग कहें बावली, इत उत मद छलकाये
बोलूं तो लोग कहें- काहे तू इतराये ?
सीमा जो लांघी तो सोच लै परणीति !!
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न तू सुहागन है न तू बैरागन री
दरपन सनमुख कर तू अपना अनुमापन भी ?
हेरी सखि का मैं करूं ? रोके जग रीती ...!
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मैं ही बिरागन हूं मैं ही सुहागन भी
जे खौं प्रिय नाप लियो, सुध का अनुमापन की !
सुन दुनियां हार गई, आतमा जा जीती !!

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...