जोगी जबसे आया तू आया मेरे द्वारे
ओ रे मांझी
मोरा गोरा अंग
रविवार, 25 अप्रैल 2010
सोमवार, 19 अप्रैल 2010
पाबला जी पगडी में क्या है सुनिये शरद कोकास से
छत्तीसगढ में भी है पारा 45 डिग्रि है . तपन से भरे दिन कैसे गुज़र रहे हैं वहां सुनिये शरद जी की ज़ुबानी उनने जैसी बात हुई हू ब हू पेश है
शनिवार, 17 अप्रैल 2010
गुरुवार, 15 अप्रैल 2010
बुधवार, 14 अप्रैल 2010
रविवार, 11 अप्रैल 2010
स्निग्धा तु मेरी सासों में घोल रहीं थी अमिय
स्निग्धा
तु मेरी सासों में घोल रहीं थी अमिय
तब से अब तक
सिर्फ़ मैं
सीख पाया हूं
प्यार की बातैं
ओ चिर छाया
तुम्हारा आभास लेकर ज़िंदा हूं
वरना कब का धुएं के गुबार के साथ
जो चिता पर उभरती लौ से भागती नज़र आती हैं
अनज़ान दिशा में गुम हो जाता
लोग तब मेरी पराजित
देह पर शोक
मनाते
बैराग भोगते वहां कुछ पल का
किंतु ज़िंदा हूं
तुम्हारे अमिय की ताकत बाकी है मुझमें
तुम से सच आज़ भी उतना ही प्यार है............
ओ मां.......तुम फ़िर उस जनम में होना मेरी मां
सच अबके जनम में तुमको
तनिक भी कष्ट न दूंगा
मां .......मुझे तुम्हारे निर्दोष प्रेम की कसम
शनिवार, 10 अप्रैल 2010
सानिया कहा था न कल्लू पहलवान हुंकार भरेंगें
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लो भाई सानिया मिर्ज़ा को और उनके परिवार भोपाल की एक समाजी संस्था ने कौम से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ?ये खबर सानिया मिर्ज़ा दूल्हे मियां सोएब मलिक और सानिया के अम्मी अब्बू की सेहत पर कितना असर डालती है कोई नहीं जानता लेकिन संस्था के अध्य्क्ष कल्लू पहलवान ज़रूर प्रदेश भर में छाये रहे दिन भर . मियां कल्लू पहलवान कुछ भी कल्लो बो तो ले गिया भिया पैले से इतिल्ला कर देते शोयेब और सानिया को तो शायद वो आपकी पेल्वानी {”पहलवानी”} का मान रख लेते अब क्या ..?
जाओ रमजानी के टपरे से ज़र्दे वाला पान लियाओ और चबाओ भाई मियां ...!
आज़ अखबार में नाम छपा है शायद मुफ़्त में इज़्ज़त सहित रमज़ानी गिलौरी पेश करे ...
जाओ रमजानी के टपरे से ज़र्दे वाला पान लियाओ और चबाओ भाई मियां ...!
आज़ अखबार में नाम छपा है शायद मुफ़्त में इज़्ज़त सहित रमज़ानी गिलौरी पेश करे ...
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मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
महफ़ूज़ अली की कविता वाली ती शर्ट पहनेंगे अमेरिकन
उस व्यक्तित्व को कौन पसंद न करेगा जिसका घर गोरखप्रुर / लखनउ /जबलपुर में कहां है कोई नहीं समझ पाया यानि सबके अपने प्यारे महफ़ूज़ मियां जितने गोरखप्रुरके हैं उससे ज़्यादा लखनउ और जबलपुर के हो गये.....!
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आज खूब दिनों के बाद महफूज़ भाई फुरसत में होगें तो बस न्योत लिए गए मिले करना था पॉडकास्ट-रिकार्डिंग किन्तु कल रात से बुखार का शिकार पाडकास्टर सोच रहा था आज उनको मना करदूं किन्तु श्रीमती बिल्लोरे ने कहा :''आप को कौन सा खाना बनाना है आने दीजिये और उनको भी बुलाइए जो बाटी खाने के इच्छुक हैं मैं समझ गया कि आज महफूज़ भाई के साथ दीपेन्द्र सिंह बिसेन . एस ए सिद्दीकी जी, मनीष सेठ,मनीष शर्मा,आफिस वाली मंडली साथ होगी. सो हमने कहा हमारे मित्र महफूज़ जी से मिलना चाहतें हैं शायद ही खाना खायें '' पर गृह मंत्री के आदेश पर आनन् फानन फोन पे बताया भाई लंच के लिए मेरे घर आइये महफूज़ भाई से मुलाक़ात तो कीजिये साथ में लुफ्त उठाइये बाटीयों का लज़ीज़ भरता-दाल, आदि आदि . औपचारिक वार्तालाप के बाद महफूज़ भाई घुल मिल गए मित्रों से . लखनऊ आने का न्योता-जबलपुर आते रहने की गुजारिश के बीच टीशर्ट पर छपी कविता,बराक जी का ख़त, अवध की शाम, गंजिंग आदि पे खूब बतियाया गया .एक दूसरे का दिल जीत के सब निकले अपने अपने काम पे और मुझे मिल गया एक बार और मित्रों के साथ का सुख कि वाकई अच्छे दोस्त कभी-कभार ही ज़मा होते हैं .
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आग कभी मरती नहीं है
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”विशेष अनुरोध ”
मित्रो,सादर अभिवादन, जैसा कि आप को ज्ञात होगा विगत कई दिनों से ब्लॉग जगत को स्वयं महफूज़ अली ने तथा अन्य लोगों ने अवगत करा ही दिया था कि उनकी एक कविता ''फायर,इस स्टील अलाइव''को नेन्सी डिकलमान ने टी-शर्ट पर मुद्रित करा कर उनके पास भेजा है. इसके प्रमाण उनके द्वारा मुझे उपलब्ध भी कराये जिसे मैने यहां मेलोडी ओफ़ लाइफ़ पर इस गरज़ से दर्ज़ कर दिये थे ताकि किसी भी प्रकार का संदेह न हो जैसा कि कुछ लोगों ने व्यक्त किया है ! मित्रो जो भी तथ्य है उनसे हुई चर्चा के अनुरूप पोस्ट पर हैं . इस पर बेनामी टिप्पणी कर्ताओं क्रमश: ब्लाग समाचार,मीनिका,तथा स्वयं श्री अरविंद मिश्रा जी नें व्यक्तिगत खुन्नस निकाली जो उनके और महफ़ूज़ के बीच सम्भावित है , अस्तु मिश्र जी को एक मेल के ज़रिये मैने अपनी बात कह दी है . महफ़ूज़ के बारे में उनका अभिकथन कम से कम इस सूचना युक्त पोस्ट पर गैर ज़रूरी था :-गिरीश बिल्लोरे मुकुल
________________________________________________________अब तो महफूज़ की तलाश दुनिया की कई हस्तियों को है उनमें एक हैं बराक ओबामा और उससे पहले इन मादाम को
Described as a teacher who routinely challenges standard pedagogical practices, Nancy Diekelmann has shared her knowledge and educational research philosophies with New Zealand, the United Kingdom, Australia, Canada, the Figi Islands, Germany, France and Italy as well as with her students in Madison.
The University Teaching Academy's first chair, Diekelmann also leads the profession of nursing in recognizing and rewarding nursing education, according to Vivian M. Littlefield, dean of the School of Nursing.
Diekelmann's own research feeds directly into her teaching. Says Littlefield, "She loves to teach and since her research is focused on teaching, she readily accepts assignments on a variety of levels and in many formats."
Her students agree that Diekelmann views life as an uninterrupted experience of learning. "She not only presented us with the required course material, but also bolstered our confidence and desire to step forward and learn more," concur Geralyn Summerbell and Valerie Pyne.
From the Department of Chemistry, James W. Taylor, current chair of the Teaching Academy, notes that Diekelmann's stylistic flexibility sets her apart pedagogically and also helped the fledgling academy develop into a bastion of teaching excellence. In addition, Taylor applauds Diekelmann's leadership in assisting new professors in organizing lesson material, developing good learning practices, understanding what motivates students and more.
Diekelmann, born in Chicago, is a UW-Madison alumna, earning her Ph.D. from the Department of Continuing and Vocational Education. Her M.S. is from Saint Xavier College; her B.S. is from Northern Illinois University. She has been on the nursing faculty since 1974.
__________________________________________________आज खूब दिनों के बाद महफूज़ भाई फुरसत में होगें तो बस न्योत लिए गए मिले करना था पॉडकास्ट-रिकार्डिंग किन्तु कल रात से बुखार का शिकार पाडकास्टर सोच रहा था आज उनको मना करदूं किन्तु श्रीमती बिल्लोरे ने कहा :''आप को कौन सा खाना बनाना है आने दीजिये और उनको भी बुलाइए जो बाटी खाने के इच्छुक हैं मैं समझ गया कि आज महफूज़ भाई के साथ दीपेन्द्र सिंह बिसेन . एस ए सिद्दीकी जी, मनीष सेठ,मनीष शर्मा,आफिस वाली मंडली साथ होगी. सो हमने कहा हमारे मित्र महफूज़ जी से मिलना चाहतें हैं शायद ही खाना खायें '' पर गृह मंत्री के आदेश पर आनन् फानन फोन पे बताया भाई लंच के लिए मेरे घर आइये महफूज़ भाई से मुलाक़ात तो कीजिये साथ में लुफ्त उठाइये बाटीयों का लज़ीज़ भरता-दाल, आदि आदि . औपचारिक वार्तालाप के बाद महफूज़ भाई घुल मिल गए मित्रों से . लखनऊ आने का न्योता-जबलपुर आते रहने की गुजारिश के बीच टीशर्ट पर छपी कविता,बराक जी का ख़त, अवध की शाम, गंजिंग आदि पे खूब बतियाया गया .एक दूसरे का दिल जीत के सब निकले अपने अपने काम पे और मुझे मिल गया एक बार और मित्रों के साथ का सुख कि वाकई अच्छे दोस्त कभी-कभार ही ज़मा होते हैं .
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आग कभी मरती नहीं है
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रविवार, 4 अप्रैल 2010
सानिया से ज़्यादा ज़रूरी है संजय पर बात करना
संजय एक विजेता खिलाडी किंतु हताश है संजय या इन जैसे अभावों में जूझते खिलाडियों पर इस वक्त चर्चा होनी ज़रूरी है सानिया से ज़्यादा ज़रूरी है सानिया मिर्ज़ा की शादी शोएब के साथ आयशा के सम्बन्धमें पल छिन की खबर देते मीडिया के लिये यह खबर कितनी ज़रूरी लगती है य देखना है अब
"नियमों की भेंट न चढ जाये यह खेल प्रतिभा :
जबलपुर नगर का युवा पावर लिफ़्टिंग खिलाडी संजय बिल्लोरे का चयन मंगोलिया की राजधानी उलानबटर में दिनांक ०१ मई से ५ मई तक आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग चैम्पियन शिप २०१० हेतु इंडियन-पावर-लिफ़्टिंग फ़ेडरेशन व्दारा किया गया है. किंतु इस खेल के नान औलौंपिक श्रेणी का होने के कारण न तो राज्य सरकार से और न ही भारत सरकार से खिलाडी को कोई मदद शासकीय तौर पर मिलना कठिन हो गया है. एक मध्यम वर्गीय युवा खेल-प्रतिभा को मंगोलिया तक की यात्रा के साधन जुटाने में जो ज़द्दो-ज़हद करनी पड रही आत्म विश्वास से भरे इस युवक को पूरा भरोसा है अपने बेहतर प्रदर्शन के लिये: संजय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हौने वर्ष २००७ में ताईवान में आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग प्रतियोगिता में रज़त-पदक जीता था.ओर्डिनेंस फ़ैक्ट्री खमरिया में मशीनिष्ट के पद पर कार्यरत संजय बिल्लोरे को इस खेल यात्रा के लिये लगभग एक लाख रुपयों की ज़रूरत है. यदि वे १५ अप्रेल तक फ़ेडरेशन को यात्रा व्यय हेतु राशि न भेज सके तो उनका चयन निरस्त कर दिया जायेगा. संजय ने यात्रा-व्यय के लिये अपने विभाग को आवेदन कर दिया है किंतु नियमों का हावाला देते हुए विभाग ने उनसे उम्मीद न रखने की सलाह दी है यद्यपि फ़ेडरेशन ने उनका आवेदन कलकत्ता स्थित मुख्यालय को भेज दिया है.
जबलपुर नगर का युवा पावर लिफ़्टिंग खिलाडी संजय बिल्लोरे का चयन मंगोलिया की राजधानी उलानबटर में दिनांक ०१ मई से ५ मई तक आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग चैम्पियन शिप २०१० हेतु इंडियन-पावर-लिफ़्टिंग फ़ेडरेशन व्दारा किया गया है. किंतु इस खेल के नान औलौंपिक श्रेणी का होने के कारण न तो राज्य सरकार से और न ही भारत सरकार से खिलाडी को कोई मदद शासकीय तौर पर मिलना कठिन हो गया है. एक मध्यम वर्गीय युवा खेल-प्रतिभा को मंगोलिया तक की यात्रा के साधन जुटाने में जो ज़द्दो-ज़हद करनी पड रही आत्म विश्वास से भरे इस युवक को पूरा भरोसा है अपने बेहतर प्रदर्शन के लिये: संजय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हौने वर्ष २००७ में ताईवान में आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग प्रतियोगिता में रज़त-पदक जीता था.ओर्डिनेंस फ़ैक्ट्री खमरिया में मशीनिष्ट के पद पर कार्यरत संजय बिल्लोरे को इस खेल यात्रा के लिये लगभग एक लाख रुपयों की ज़रूरत है. यदि वे १५ अप्रेल तक फ़ेडरेशन को यात्रा व्यय हेतु राशि न भेज सके तो उनका चयन निरस्त कर दिया जायेगा. संजय ने यात्रा-व्यय के लिये अपने विभाग को आवेदन कर दिया है किंतु नियमों का हावाला देते हुए विभाग ने उनसे उम्मीद न रखने की सलाह दी है यद्यपि फ़ेडरेशन ने उनका आवेदन कलकत्ता स्थित मुख्यालय को भेज दिया है.
गढ़ के दोष मेरे सर कौन मढ़ रहा कहो ?
अदेह के सदेह प्रश्न कौन गढ़ रहा कहो
गढ़
के दोष मेरे सर कौन मढ़ रहा कहो ?
मुझे जिस्म मत कहो चुप रहो मैं भाव
हूँ
तुम जो हो सूर्य तो रश्मि हूँ प्रभाव हूँ !!
मुझे
सदा रति कहो ? लिखा
है किस किताब में
देह पे ही हो बहस कहा है किस जवाब में
नारी
बस देह..? नहीं प्रचंड अग्निपुंज भी
मान
जो उसे मिले हैं शीत-कुञ्ज भी !
चीर
हरण मत करो मत हरो मान मीत
भूलो
मत कुरुक्षेत्र युद्ध एक प्रमाण मीत !
जननी
हैं ,भगनी है, रमणी हैं नारियां -
सुन्दर
प्रकृति की सरजनी हैं नारियां
हैं
शीतल मंद पवन,लावा ये ही तो हैं
धूप
से बचाए जो वो छावा यही तो हैं !
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