इस तस्वीर को गौर से देखिये जाडे में कभी कभार आपकी हालत यूँ हो जाती है बीमार हों और शरीके हयात अचानक आपकी तस्वीर उतार लें . तब जब आप उसनीदे से चाय की तलब में हों कुछ झुंझलाए से भी ..............! आप को कैसा लगेगा अपनी तस्वीर देखकर , झुंझला तो आप तब और जाएंगे जब शरीके हयात आपको देख कर मुंह दबा के हँस रहीं हों .
आज अपने साथ भी यही कुछ हुआ हम ठहरे पलटवारी पुटिया के अपने हाथ ले लिया कैमरा और हम पर हंसने वाली श्रीमती जी का चित्र भी कैद कर लिया इस चुहल से नाराज़ श्रीमती जी ने देर तक बात की नहीं चाय का प्याला तो लाँई किन्तु जैसे ही फोटो हमने दिखाया तो फिर वही उन्मुक्त हंसीं माहौल ही बदल गया किन्तु एक उपनाम दे दिया हमको "पलटवारी" हम भी कम नहीं बोल पड़े :-"हमारी आजा को में इलाके के पटवारी खिताब मिला था रदीफ़ मिल गया पलटवारी"
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फिर क्या था एक बीमार दिन की खुशगवार होती सांझ और हम आ गए आपकी सेवा में निहायत पर्सनल बात को ब्लॉग पर छापने. इस बात का से सच साबित हुई वो बात जो एक दिन माँ ने हम दौनों से कही थी: "बेटा हमारा ज़माना और था अब सह अस्तित्व ही ज़रूरी है...." पत्नी के समर्पण की कीमत इस युग ने आंकी है तुम उसका पालन करना . और मेरी पत्नी से कहा :हाँ सुलभा मुदित होने के लिए कोई समय निर्धारित नहीं सदा मुस्कुराते रहो दुनियाँ में बेवज़ह रोने के विषयों की भरमार है.
सव्यसाची माँ आज तुम खूब याद आ रहीं हों इस लिए कि मुदिता को अर्थ दे दिया हमने सुखद दाम्पत्य का यही सच है कि हम तनाव मुक्त रहें . हँसे / गुस्से और झुंझलाहट का इलाज़ करें हल्की-फुल्की चुहलों से यही है प्रेम का सार तत्व
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